पंजाब में एक कुम्हार के घर जन्मी सोहनी. इसी के साथ एक मुगल
व्यापारी के यहां जन्म लिया इज्जत बेग ने जो आगे चलकर महिवाल कहलाया. सोहनी
के इश्क में गिरफ्तार इज्जत बेग ने उसी के घर में जानवर चराने की नौकरी कर
ली. पंजाब में भैंसों को माहियां कहा जाता है. इसलिए भैंसों को चराने वाला
इज्जत बेग महिवाल कहलाने लगा. दोनों की मुलाकात मोहब्बत में बदल गई. जब
सोहनी की मां को बात पता चली तो उन्होंने महिवाल को घर से निकाल दिया.
सोहनी की शादी किसी और से कर दी गई. महिवाल ने अपने खूने-दिल से लिखा खत
सोहनी को भिजवाया. सोहनी ने जवाब दिया कि मैं तुम्हारी थी और तुम्हारी
रहूंगी. महिवाल ने साधु का वेश बनाया और सोहनी से मिलने पहुंच गया. दोनों
फिर मिलने लगे. सोहनी मिट्टी के घड़े के सहारे तैरती हुई चिनाव नदी पार करती
और महिवाल से मिलने आती. सोहनी की भाभी ने एक दिन पक्का घड़ा बदलकर मिट्टी
का कच्चा घड़ा रख दिया. सोहनी को पता चल गया कि उसका घड़ा बदल गया है फिर भी
वह कच्चा घड़ा लेकर नदी में कूद पड़ी. घड़ा टूट गया और वह पानी में डूब गई.
उसका शव दूसरे किनारे पर बैठे महिवाल के पैरों से टकराया. वह पागल हो गया.
उसने सोहनी के जिस्म को अपनी बांहों में थामा और चिनाव की लहरों में गुम हो
गया. सुबह जब मछुआरों के जाल में दोनों के जिस्म मिले जो मर कर भी एक हो
गए थे.
Sunday, March 13, 2016
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